As ancient as this culture of India is, its architecture is also ancient and ideal.

As ancient as this culture of India is, its architecture is also ancient and ideal.

भारत की यह संस्कृति जितनी प्राचीन है, इसकी वास्तुकला भी प्राचीन और आदर्श है।

As ancient as this culture of India is, its architecture is also ancient and ideal.

 

भारत की दिव्य भूमि में ऐसा अभूतपूर्व बोध वाला धार्मिक दृश्य है कि हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी इसकी वास्तविकता अधिक से अधिक स्पष्ट होती जा रही है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में भी इसकी वास्तविकता को विद्वानों ने स्वीकार किया है। ऐसे समय में इसके महत्व के बारे में लिखना सूर्य को दीये से देखने जैसा है।

भारत की यह संस्कृति

भारत की यह संस्कृति जितनी प्राचीन है, इसकी वास्तुकला भी प्राचीन और आदर्श है। जिस तरह भारत के संतों ने भारतीय संस्कृति में आत्म-सुधार के अपने आदर्श को विकसित किया है, उसी तरह इसके विद्वान वास्तुकारों ने भारतीय जीवन के आदर्शों को अपनी वास्तुकला में शामिल किया है।

भारत की गुलामी और पतन

भारत की गुलामी और पतन की वर्तमान स्थिति में भी भारत की यह सर्वोच्च स्थापत्य कला और इसके लिए स्वयं को समर्पित करने वाले वास्तुकार- इसके जीवित शिल्प कौशल का प्रतीक समा है और इसके अवशेष बचे हैं

विदेशों से कई तीर्थयात्रियों को आकर्षित कर रहा है।

आज भी यह विदेशों से कई तीर्थयात्रियों को आकर्षित कर रहा है। विदेशियों के आक्रमण से इस कला को भी बहुत नुकसान हुआ है। खूबसूरत स्थापत्य में मौजूद कई खूबसूरत महलों को आज नष्ट कर दिया गया है देखा और इसके खंडहर आज भी तीर्थयात्री इसकी भव्यता का अंदाजा लगाते हैं हैरान हो जाता है।

विदेशी आक्रमणों से पहले की वास्तुकला

विदेशी आक्रमणों से पहले की वास्तुकला यह प्रगति का समय था। उस समय के शैव, हैधा और वैष्णव राजाओं से महाराजा इस कला को खूब सराहा गया। जैन काल में भी इसका शासक साथ ही इस कला को सेठ साहूकारों ने और पोषित किया।

आज भी सेठ साहूकार इस कला को अपने धार्मिक मूल्यों से पोषित कर रहे हैं।

आज भी सेठ साहूकार इस कला को अपने धार्मिक मूल्यों से पोषित कर रहे हैं। लेकिन वर्तमान अंग्रेजी शासन के दौरान, हालांकि, इसके संरक्षण पर ध्यान दिया गया था पोषण और उत्तेजना की कमी के कारण यह भी दिन-ब-दिन बर्बाद होता जा रहा है।

भारत की कलाँ में वास्तुकला बहुत प्राचीन और पौराणिक हैं। यह कला धर्म पर आधारित हैं और यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चारों पुरुषार्थों की खोज हैं।

आज के वैज्ञानिक युग में

आज के वैज्ञानिक युग में इसकी उपयोगिता सिद्ध हो चुकी हैं और विदेशी वैज्ञानिकों ने भी इसकी वाकपटुता से प्रशंसा की हैं। वर्तमान स्थिति में भारतवर्ष की कला का जय जय कर हो रहा हैं, लेकिन यह सौभाग्य और गौरव की बात हैं कि रिचमैन के राज्य में कला को पर्याप्त संरक्षण और प्रोत्साहन मिलता हैं,

रिचमैन राज्य के कार्यान्वयन का मुख्य आदर्श रहा हैं

रिचमैन राज्य के कार्यान्वयन का मुख्य आदर्श रहा हैं कला की उन्नति के साधक। ऐसे परोपकारी कार्यों के प्रति आपका पक्षपात और सद्भावना और भारत की प्राचीन संस्कृति, विद्या, कला और समुती के प्रति आपकी उदार भावना इस कार्य के माध्यम से कई बार प्रकट हुई हैं।

इसलिए वास्तुकला पर संस्कृत की अनेक पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद हमारी टीम ने इस https://dwgshop.in/ वेबसाइट में मंदिर और मंदिर के अलग-अलग हिस्से की डिज़ाइन को आपकी सेवा में समर्पित करता हूं।

 

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